शीशे की तरह मां-बाप का दिल तोड़ कर प्रेमी के साथ लिव इन में रहने चली गई युवती मां बिलखती रही रोती रही

राजस्थान: राजस्थान के जोधपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर और उसका वीडियो देखकर आपका हृदय शीशे की तरह टूट जाएग | क्या बीती होगी उन मां-बाप पर जहां उनकी लगभग 18-19 साल की बेटी जिसको उन्होंने पाला पोसा पढ़ाया लिखाया और वह महज साल 6 महीने की मुलाकात में ही किसी नौजवान लड़के को दिल दे बैठी और उसके साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने चली जाती है और मां-बाप रोते रहते हैं | इससे बड़ा हृदय विदारक वाक्या तो कोई आपने सुना नहीं होगा |

वासनाओं के खेल के आगे लाचार कानून ! व्यभिचार के खेल के आगे लंगड़ा है कानून ! साथियों आज हमारे देश में कुछ ऐसे कानून है जो समाज को पतन की राह पर ले जा रहे हैं लेकिन कानून बनाने वालों को यह नहीं पता लगा कि हम जो बना रहे हैं वह कहां जाएंगे |

आजादी उसी को दी जाती है जो समझदार हो यदि आजाद ही करना है तो पिंजरे से छोड़ दो उन शेरों को | क्यों उनको पिंजरे में रखा है ? क्यों चार दिवारी में रखा है ? खुला छोड़ दो जानवरों को पता लग जायेगा ये समाज को कितना हानि पहुंचाते हैं | ऐसे ही आज मनुष्य की देह में कुछ जानवर समाज में पल रहे हैं और उनको आजादी दी जा रही है हमारे कानून के द्वारा |

राजस्थान में एक वीडियो वायरल होता है जहां पर एक बेबस माँ रोती रहती है | वैसे तो माताएं तब रोती हैं जब उनकी बच्ची की डोली ससुराल में जा रही हो लेकिन बताओ तब वह कितना विलाप करेगी कि उसकी लड़की उनकी बिना राजी के किसी और के साथ वासना की हवस को बुझाने के लिए लिव इन रिलेशनशिप जिसका नाम हमारा कानून देता है उसमें रहने के लिए जा रही हो |

बुजुर्ग दादाजी खड़े हुए मां विलाप कर रही है पुलिस लेने आ जाती है लेकिन वासना की अंधी यह युवती कुछ नहीं देखती और बिलखती हुई मां को छोड़कर जाने को तैयार हो जाती है और चली भी जाती है |

क्या कानून को इस विषय में आंखों पर पट्टी बांधनी चाहिए ? अगर जहां कानून का कोई धर्म न हो तो वहाँ ऐसा ही होगा क्योंकि हमारा देश ही धर्मनिरपेक्ष है यह किसी भी धर्म के सिद्धांतों को नहीं मानता और इसका कोई धर्म सिद्धांत है नहीं |

इसके नियम है सबको आजादी लेकिन उनमें कोई प्रतिबंध नहीं है यदि ऐसी आजादी है तो सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि छोटे-छोटे बच्चों को अपने पास रखे उनको पहले पाले पोसे उसके बाद वह कहीं जाए मां बाप का बोझ भी कम हो जाएगा |

मां-बाप जीवन भर अपनी संतान को पढाने के लिए जो अपना पेट काटते हैं मां भूखी सो जाती है परंतु बच्चों को भोजन खिलाती है, मां नीचे चटाई बिछाकर कर सो जाती लेकिन बच्चों को बिस्तर पर सुलाती है और बड़े होकर वही बच्चे मां-बाप को दुखी करके अपनी वासनाओं की प्यास बुझाने के लिए लंगड़े लूले कानून का सहारा लेकर आजादी के नाम पर देश में व्यभिचार फैलाते हैं |

यहां एक ज्वलंत प्रश्न यह उठता है कि क्या न्यायपालिका को इस विषय में विचार करने की आवश्यकता है ? साथियों कमेंट में अवश्य बताएं |

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