
राजस्थान: भरतपुर जिले के बयाना उपखंड में वन विभाग और खनन विभाग की बड़ी कार्रवाई हुई | इस कार्रवाई के दौरान वन विभाग की टीम ने सात ट्रैक्टर ट्राली जप्त किये | नरेश सैनी फॉरेस्टर के अनुसार सहायक वन संरक्षक के नेतृत्व में रेंज बयाना कुंडा के पास 7 ट्रैक्टर मय ट्राली सेंड स्टोन ब्लॉक से भरे हुए दिखाई दिए जिनको रोक कर चालकों से वैध दस्तावेज मांगे वैध दस्तावेज न मिलने पर राजस्थान वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई कार्रवाई में स्टाफ नरेश सैनी वनपाल भूदेव मधु वनपाल हरिओम सैनी प्रवीण कुमार नागेंद्र सिंह उधम सिंह विक्रम सिंह वन रक्षक मौजूद रहे |
इस कार्रवाई से कुछ सवाल अवश्य निकलते हैं, आखिर ट्रैक्टर वालों के पास वैध दस्तावेज क्यों नहीं थे ?
पर्वत श्रृंखला से खनन के बाद ट्रैक्टर 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय कर लेते हैं और बीच में पुलिस चौकिया भी पड़ती है वन विभाग की चौकियां भी पड़ती हैं वहां पर यह क्यों नहीं पकड़े गए ?
यदि वैध दस्तावेज नहीं मिले तो क्या पर्वत श्रृंखला में अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है ?
यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर आसानी से नहीं मिल सकता | अब यहां पर समझने वाली बात यह है कि जिनके यह ट्रैक्टर ट्राली है वह उन ग्रामीणों के हैं जो इनके माध्यम से भाड़ा निकलते हैं और अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं |
बढ़ती हुई बेरोजगारी के दौर में डांग क्षेत्र के लोग रोजगार की तलाश करते हैं तो उनको अपने क्षेत्र में चल रहे खनन के प्रति विचार आते हैं और ट्रैक्टर ट्रॉली अपनी जमीन गिरवी रखकर फाइनेंस करा कर जैसी तैसे निकाल लेते हैं|
लोन पर निकाले गए इन वाहनों की किस्त समय पर नियमित रूप से जाती रहे वह इसके लिए खनन क्षेत्र में भाड़ा करते हैं यह लोग ज्यादा पढ़े लिखे तो होते नहीं इनको कानून का भी इतना ज्ञान नहीं होता वह पत्थर वैध है या अवैध यह सब उस खनन के ठेकेदार को पता रहता है जिसने इन ट्रैक्टरों में पत्थर रखा |
सनातनी संत रिपोर्टर के मन में सवाल उठता है की इस कार्रवाई में ट्रैक्टरों के जप्त होने से लेकर वैध कार्रवाई तक जो अवैध तरीके से पत्थर ला रहे इन ट्रैक्टरों पर होगी उसमें हुए नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा ठेकेदार या शिक्षा का अभाव जो इन ग्रामीणों के अंदर आज भी है जिनको कानून का ज्ञान नहीं है |
